IP Address क्या होता है? इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है?

  • आई पी एड्रेस का पूरा नाम इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस है। IP एड्रेस एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसके माध्यम से एक कंप्यूटर दूसरे कंप्यूटर से कम्युनिकेशन करता है। और इंटरनेट के माध्यम से जोड़ता है।
  • परंतु आज के दौर में सिर्फ कंप्यूटर ही नहीं कई और सारे डिजिटल डिवाइस एक दूसरे से जुड़ते हैं। कम्युनिकेट करते हैं। इंटरनेट के माध्यम से जैसे कि मोबाइल डिवाइस, नेविगेशन डिवाइस इत्यादि।
  • IP Address द्वारा इंटरनेट पर जितने भी डिजिटल डिवाइस आपस में कनेक्ट है। फिर चाहे वह करोड़ों हो या अरबों हो । उन प्रत्येक डिवाइसों की लोकेशन और उन डिवाइसों को इंटरनेट के माध्यम से जुड़े होने के बावजूद एक दूसरे से अलग बनाए रखता है।
  • अर्थात आप IP Address के माध्यम से करोड़ों-अरबों एक दूसरे से जुड़े डिजिटल डिवाइसों मे से किसी भी एक का पता आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि प्रत्येक डिजिटल डिवाइस का यूनिक IP Address होता है। और जैसे ही इंटरनेट पर कनेक्ट होता है। GPS सिस्टम के माध्यम से IP Address की मदद के द्वारा उस डिजिटल डिवाइस की करंट लोकेशन का पता किया जा सकता है।
  • तो आप आई पी एड्रेस की मदद से कौन सा डिजिटल डिवाइस इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका पता कर सकते हैं। अर्थात नेटवर्क इंटरफ़ेस का पता कर सकते हैं। और दूसरा आप उस नेटवर्क इंटरफेस (डिजिटल डिवाइस) की लोकेशन का पता कर सकते हैं।

IP Address की आवश्यकता-

  • दोस्तों बिना आई पी एड्रेस के माध्यम से आपका कंप्यूटर इंटरनेट पर कनेक्ट नहीं हो सकता है। क्योंकि जब भी आप कंप्यूटर को इंटरनेट पर कनेक्ट करने की कोशिश करते हैं । तो उसके लिए आई पी एड्रेस की आवश्यकता जरूर पड़ती है।
  • इंटरनेट प्रोटोकॉल एक प्रकार से इंटरनेट गतिविधियों को पूर्ण करने के लिए एक नियम बनाया गया है। जिसके इस्तेमाल के द्वारा ही आप वर्ल्ड वाइड वेब www का प्रयोग कर सकते हैं। अर्थात इंटरनेट का प्रयोग कर सकते हैं। अगर आपका डिवाइस में IP Address नहीं है। तो आप इंटरनेट का प्रयोग कतई नहीं कर पाएंगे परंतु ऐसा होता नहीं है। आपको प्रत्येक डिवाइस में iP एड्रेस जरूर मिलेगा क्योंकि इसके बिना आज डिजिटल डिवाइस हो ही नहीं सकता है।
  • तो अब तक आप समझ ही गए होंगे की डिजिटल डिवाइसों के बीच में एक ऑनलाइन संवाद स्थापित करने के लिए आई पी एड्रेस का होना आवश्यक है।

IP Address दो प्रकार के होते हैं:

ipv4 एड्रेस:

  • इस प्रकार के IP Address में चार नंबरों का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक नंबर में 3 डिजिट और बिंदु के माध्यम से उन्हें अलग किया जाता है।
  • उदाहरण के तौर पर 78.0.45.221।
  • चारों नंबर के अंक शून्य से 255 के बीच में ही होते हैं। यह 32 बिट का नंबर होता है। इस प्रोटोकॉल को डिजिटल डिवाइसों में सबसे पहले इस्तेमाल किया गया और आज भी किया जाता है।
  • परंतु अब एक और इंटरनेट प्रोटोकॉल आ चुका है। वह iPV6 है। जो 128 बिट पर काम करता है। उसके बारे में आगे चर्चा करेंगे। अभी फिलहाल हम IPV4 एड्रेस पर ही बात करते हैं।
  • इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस का इस्तेमाल करके आप अपने डिजिटल डिवाइस के माध्यम से अपना डाटा एक स्थान से दूसरे स्थान पर वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से भेजते हैं।

ipv6 एड्रेस:

आईपीवी सिक्स एड्रेस (ipv6 एड्रेस) में 8 समूह होते हैं। 4 हेक्साडेसिमल डिजिटस के और प्रत्येक समूह का सेमी कोलन से विभाजन किया जाता है। उदाहरण के तौर पर

ipv6 एड्रेस के प्रयोग की वजह-

  • इस प्रकार के इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस की शुरूआत होने का कारण है ipv4 एड्रेस की कमी होना। क्योंकि जिस दौर में इसकी शुरुआत हुई थी उस दौर में डिजिटल डिवाइसेस कम हुआ करते थे। परंतु जैसे जैसे समय बढ़ता गया डिजिटल डिवाइस और कंप्यूटर आम हो गए और इनकी संख्या करोड़ों अरबों खरबों में पहुंच चुकी है।
  • जिसके कारण ipv4 एड्रेस कम लगने लगा। और इसके मद्देनजर रखते हुए IPV6 एड्रेस की शुरुआत की गई। इसकी स्थापना मध्य 1990-2000 दशक के बीच में की गई। परंतु आज भी बहुत सारे डिजिटल डिवाइस इस आईपीवी 4 एड्रेस का ही प्रयोग कर रहे हैं। और इसका प्रयोग भी जारी रहेगा। जब तक यह पूर्णता रुप से समाप्त ना हो जाए। और भविष्य में IPV6 एड्रेस का प्रयोग किया जाएगा।
  • तो दोस्तों उम्मीद करता हूं आपको समझ आया होगा कि IP Address क्या होता है? और इसका प्रयोग किस लिए किया जाता है?
  • अगर आपको मेरी यह पोस्ट पसंद आई। तो सोशल मीडिया पर शेयर कीजिए। और अगर आपके मन में इस पोस्ट के संबंधित कुछ सुझाव या सवाल है। तो आप वह हमारे साथ  इस पोस्ट पर कमेंट सेक्शन में शेयर कर सकते हैं।
धन्यवाद
Previous Post Next Post

Contact Form